अनुभव की बात

satsang event
satsang event


अनुभव की बात समझ-समझ की बात होती है। कुछ लोग हैं जो अपनी बुद्धि से भगवान को पकड़ना चाहते हैं। यह मन और बुद्धि से परे की चीज़ है। अगर हाथी को बाँधने वाली ज़ंजीर से हम चींटी को बाँधना चाहें तो कैसे बंधेगी?

तो समझने की बात है- ज्ञान की बात, भगवान की बात, हम अपनी बुद्धि से नहीं पकड़ सकते हैं। हम सिर्फ अनुभव से इस चीज़ को पकड़ सकते हैं। लोग समझते हैं कि आज स्कूल में यह पढ़ा, परंतु जिस चीज़ का अनुभव नहीं किया, वह कैसे समझ में आ जाएगी? अंगूर मीठे होते हैं, यह सीखने के लिए किसी को स्कूल जाने की ज़रूरत नहीं है। जिस दिन अंगूर मुँह में डालेंगे, अपने आप पता लग जायेगा कि अंगूर मीठे होते हैं।

हम भगवान की बात करते हैं, ज्ञान की बात करते हैं, मुक्ति की बात करते हैं। पर इसको अनुभव में बदलना ज़रूरी है। कोई दस घंटे तक भाषण दे सकता है, कि चीनी क्या होती है, मीठा क्या होता है, पर, अगर वह मिठास ज़बान पर रख दी जाये तो मनुष्य एक ही पल में समझ जायेगा। फिर उसके प्रश्न बाकी नहीं रहेंगे, फिर वह दुविधा में नहीं रहेगा, फिर उसको जगह-जगह भटकने की ज़रूरत नहीं रहेगी। वह उस चीज़ का अनुभव अपने जीवन में, अपने अंदर कर सकेगा।

ये है बात अनुभव की। इस संसार में ‘शांति-शांति’ कहने वालों की कोई कमी नहीं है, पर कोई बिरला ही मिलेगा जो शांति का अनुभव करा दे। और जबतक ये अनुभव नहीं होगा, तबतक हम पहचान नहीं पायेंगे कि हमको क्या मिला है।

अनुभव एक ऐसी चीज़ है कि उसके बाद फिर कुछ कहने के लिए बाकी नहीं रह जाता। अनुभव करो, अनुभव से वह चीज़ समझ में आएगी। अनुभव से इस चीज़ को पकड़ पाओगे, और तभी अपने जीवन को सफल कर पाओगे।

दुनिया में गुरु की महिमा भूल-भाल गये। भूल-भाल गये गुरु का महत्व! अंधविश्वास में फंसे रहते हैं। गुरु तो तुम्हारा कोई न कोई ज़रूर होगा। कोई न कोई तुमको पाठ ज़रूर पढ़ायेगा। पर इतनी बात है कि अगर सच्चा पाठ पढ़ गये तो यह जीवन की नैया उस पार लग जायेगी। अगर सच्चा पाठ नहीं पढ़ पाये तो यह डूबेगी। तो ऐसा गुरु चाहिए, जो अनुभव की बात करे।

— प्रेम रावत (महाराजी)  Anubhav ki baat