हृदय की किताब

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मैं यहाँ आपको एक ऐसी किताब के बारे में बताना चाहता हूँ जो कोई साधारण किताब नहीं है। यह आपके हृदय की किताब है। इस किताब के पन्ने हमारे जीवन से शुरू होते हैं। इस किताब में चीज़ों की व्याख्या नहीं की गयी है। इस किताब के हर एक पन्ने पर लिखा है कि आप सचमुच में कितने धन्य हैं। दुनिया की किताबों में लिखा हुआ है कि आपके पास क्या-क्या नहीं है, और इस किताब में लिखा जाता है कि आपके पास क्या-क्या है। आपके पास स्वांस है, यह जीवन है, और सौभाग्य है कि हमें यह मनुष्य शरीर मिला है।

अपने जीवन में हृदय की किताब को भूल मत जाना, यहाँ बहुत कुछ लिखा है। मैंने तो सिर्फ एक ही पन्ने की थोड़ी सी पंक्तियाँ पढ़ीं हैं। वह किताब बहुत मोटी है। उसमें तो हर एक चीज़ के बारे में लिखा हुआ है। इस आंनद के बारे में लिखा हुआ है। उस परमात्मा के बारे में लिखा हुआ है। परमानंद के बारे में लिखा हुआ है। इस जीवन को सफल करने के बारे में लिखा हुआ है। उस हृदय की किताब में, जो तुम्हारे पास है, उसके बारे में लिखा हुआ है। एक दिन आएगा, जब समझ में आ जाएगा कि सचमुच में तुम कितने धनी हो! तब अपने आपको धन्य-धन्य पाओगे।

सबसे बढ़िया खुशखबरी यह है कि जिस चीज़ की तुम्हें तलाश है, वह तुमसे दूर नहीं है। वह तुम्हारे बहुत ही करीब है। इसे जानने के लिए किसी चीज़ की जरूरत है, और वह है- ज्ञान।

लोग समझते हैं कि अंदर की शांति के लिए हमको बाहर के सारे सुखों को त्यागना पड़ेगा और बाहर की सारी जिम्मेदारियों को त्यागना पड़ेगा। यह हमारी गलतफहमी है। तुम्हारी जो भी जिम्मेदारियां हैं, इनको निभाओ और अच्छे तरीके से निभाओ। ये बाहर की जिम्मेदारियां हैं। हमें यह भी समझना चाहिए कि अंदर के प्रति भी हमारी एक जिम्मेदारी है, इसको भी समझ कर अपने जीवन में निभाओ।

अब प्रश्न यह है कि अंदर की जिम्मेदारी क्या है? वही, जो तुम्हारे हृदय के पन्नों में लिखा हुआ है, कि अपने जीवन को सफल बनाओ; अपने जीवन में शांति लाओ; अपने जीवन में उस बात को समझो जो बार-बार हृदय तुमसे कहता आ रहा है।

मैं लोगों से यही कहता हूँ कि तुम्हारे जीवन में शांति होनी चाहिए। खोजो इसको, जहाँ मिले, वहीं ठीक है। अगर कहीं न मिले, तो हम हैं। हम दे सकते हैं। हमने लाखों लोगों को दिया है।

— प्रेम रावत (महाराजी)  Hriday ki kitab