जीवन की यात्रा

satsang event
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हमारे अंदर एक महत्वपूर्ण चीज़ है और वह है परमानंद। उस परमानंद का स्वयं अनुभव किया जा सकता है। उस अनुभव का आनंद उठाया जा सकता है। अगर तुम जीवित हो तो इसका सहज ही आनंद उठा सकते हो। उसको कहीं खोजने की ज़रूरत नहीं है। ढूँढने से वह नहीं मिलेगा। वह पहले से ही वहीं है, जहाँ है। जो चीज़ तुम्हारे पास है, वह तुम्हारे पास ही मिलेगी।

जैसे मैंने यह कुर्ता पहना हुआ है, तो मेरे शरीर पर मिलेगा। अगर मैं सब जगह ढूँढू, आप सबसे पूछूँ तो उससे कोई फायदा नहीं। क्योंकि जहाँ है, वहाँ है। इसमें तर्क करने की ज़रूरत नहीं है। बात यह है कि शांति सबको चाहिए। इस संसार में कोई ऐसा व्यक्ति नहीं है, जिसको शांति नहीं चाहिए, परंतु सबकी धारणाएं हैं कि शांति ऐसी होती है और शांति ऐसे मिलेगी।

लोग समझते हैं कि अगर सारी लड़ाइयाँ बंद हो जायें तो शांति हो जाएगी। गलत बात है। हम तो ऐसी शांति की बात कर रहे हैं, जिसको लड़ाई के मैदान में भी अनुभव किया जा सकता है। हम ऐसी स्वतंत्रता की बात कर रहे हैं कि जेल के अंदर भी आदमी उस असली स्वतंत्रता का अनुभव कर सकता है। मैं सिर्फ बात ही नहीं कर रहा हूँ, क्योंकि जिनको ज्ञान है- ऐसे लोग ईराक और अफगानिस्तान की लड़ाई में भी गए हैं, लड़े भी हैं और इस शांति का उन्होंने लड़ाई के मैदान में अनुभव किया है। ऐसे भी लोग हैं जो जेल में कैदी हैं, जेल में ही उनको ज्ञान हुआ और अब वे उस सुख और शांति का अनुभव हर रोज़ करते हैं।

इस जीवन के अंदर आनंद की अभिलाषा हर एक व्यक्ति को है, चाहे वह किसी भी धर्म का हो, किसी भी रंग का हो, किसी भी देश का हो। सबको बचपन से ही आनंद की अभिलाषा है। आनंद चाहिए, सुख-शांति चाहिए। आनंद मिल रहा है तो सब कुछ ठीक है। कोई मंदिर में नहीं जाता है, यह कहने के लिए, ‘‘हे भगवान! बहुत ज्यादा आनंद दे दिया, अब थोड़ा कम कर दो।’’ कोई नहीं जाता है, क्योंकि यह तुम्हारी प्रकृति है कि तुम्हारे लिए सुख सहने की कोई सीमा नहीं है और दुख ज़रा भी नहीं झेल सकते।

यह सारा संसार हमसे वायदा करता है कि ‘‘हमारी तरफ चलो। जैसा हम कहें, वैसे चलो और तुमको सुख मिलेगा।’’ परंतु यह दुनिया सिर्फ दुख देती है। यही होता है। तो कैसे मिलेगा सुख? कहाँ है असली सुख? ऐसा सुख कहाँ है, जो सारी जिंदगी भर बना रहे- क्योंकि यह जीवन भी एक यात्रा है और चल रही है। एक दिन यह चलना बंद हो जाएगी। लोग बड़े-बड़े प्लान बनाते हैं। पर क्या तुमने इस जीवन का भी कोई प्लान बनाया है?

तुम्हारे अंदर भी एक जगह है, वह है असली स्वर्ग। वहां कौन बैठा है वह ‘हंस’ बैठा है तुम्हारे अंदर, जो सबको आनंद विभोर कर देता है। उसको जानो, ढूँढो! जहाँ मिले वहीं ठीक है, नहीं मिले तो हम मदद करने के लिए तैयार हैं।

— प्रेम रावत (महाराजी)  Jeevan ki yatra