परमानंद की झलक

satsang event
satsang event


जो बात मैं आप लोगों के सामने रख रहा हूँ, वह बहुत ही सरल बात है। क्योंकि वह बात किसी देश की नहीं है; वह बात राजनीति की नहीं है, वह बात हर एक व्यक्ति की है। तुम्हारे अंदर यह स्वांस-रूपी प्रसाद आ रहा है और जा रहा है। सबसे बड़ी बात यह है कि हर एक स्वांस के अंदर छिपी हुई है अटूट शांति! हर एक स्वांस के अंदर छिपी हुई है- परमानंद की झलक! वह सबके अंदर है।

संसार के अंदर आए, जन्म हुआ, उपहार के रूप में एक दिन मिला, दूसरा दिन मिला, तीसरा मिला। दिन मिलते-मिलते हफ्ते हो गये, हफ्ते के बाद महीने, महीने के बाद साल हो गये और फिर ये माल, ये धन, ये आनंद, ये परमानंद, अंदर का अंदर ही रह गया। फिर वह दिन भी आ गया, जब बाहर का स्वांस बाहर, अंदर का स्वांस भी बाहर, सब कुछ बाहर, आना-जाना हुआ बंद। खाली हाथ इस संसार में आए थे और खाली हाथ चले गये। परन्तु मैं कहता हूँ कि खाली हाथ आए तो थे, पर खाली हाथ जाने की ज़रूरत नहीं है। अगर अंदर की बात को पकड़ लोगे, उस आनंद का अनुभव कर लोगे, तो फिर तुम्हें खाली हाथ नहीं जाना पड़ेगा।

मैं समाज की बात नहीं कर रहा हूँ। मैं शहर की बात नहीं कर रहा हूँ। हर एक व्यक्ति की बात कर रहा हूँ कि आपके जीवन में शांति का दीया जले। आपका घर, आपका यह आँगन, जिसमें कितने सालों से अंधेरा ही अंधेरा भरा हुआ है, इस आँगन में शांति का दीया जले। आप भी देख सकें कि आपको क्या मिला है। गुरु महाराजी के पास क्या है? माचिस! दीया आपके पास है। माचिस गुरु महाराजी के पास है और जैसे ही तुम हृदय से कहोगे, कि हाँ जला दो; उस दिन बिना संकोच किये गुरु महाराजी निकालेंगे माचिस, जलाएंगे और आपका भी दीया जल जाएगा। जब दीया जलेगा, तो अंधेरा भागेगा, उजाला आएगा और आप भी देख सकेंगे। उस दिन आप देखेंगे और देखकर के कहेंगे, "वाह, वाह! मेरे जीवन में भी आनंद का दीया जल गया।"

यह है अनुभव की बात। यही बात हम जगह-जगह जाकर लोगों के आगे रखते हैं कि जिसकी आपको तलाश है, वह आपके अंदर है। यह तो इतनी आशापूर्ण बात है। यह बात कभी मत भूलना! जिस शांति की आपको तलाश है, वह आपस से दूर नहीं है, वह आपके अंदर है। थी, है, और जबतक आप जीवित हो, आपके अंदर ही रहेगी।

— प्रेम रावत (महाराजी)  Parmanand ki jhalak