प्रेम रावत,quote
प्रेम रावत,quote

इस नाशवान शरीर से क्या संभव है? इस नाशवान चीज़ से यह संभव है कि जो अविनाशी चीज़ है,
उसका मनुष्य अनुभव कर सकता है. वह अविनाशी चीज़ जो हम लोगों के अंदर है,
इसका अनुभव जब यह नाशवान शरीर करता है, तो क्या होता है?
हृदय गदगद होता है. जब हृदय गदगद होता है, तब क्या मिलता है? परम आनंद मिलता है. तब क्या होता है?
तब यह जीवन सफल होता है. जैसे दो चीज़ें बाहर मिलीं, वैसे ही वे अंदर भी मिलती हैं,
जिसकी चर्चा संत महात्माओं ने की है.
-प्रेम रावत