इससे बड़ी और कोई खुशखबरी तो तुम्हारे लिए हो ही नहीं सकती कि तुम जिस शांति को तमाम उम्र बाहर की दुनिया में तलाशते रहे, तुम जिस परमेश्वर को तलाशते रहे मंदिर-मस्जिद-चर्च और गुरुद्वारे में, वह तो हमेशा से तुम्हारे भीतर, तुम्हारे हृदय में ही विराजमान है. अगर समय रहते उसको पहचान सके तो तुम्हारा जीवन सफ़ल हो जाएगा.