स्वामी विवेकानंद,quote
स्वामी विवेकानंद,quote

जिस क्षण मैंने यह जान लिया कि भगवान हर एक मानव शरीर रुपी मंदिर में विराजमान है,
जिस क्षण मैं हर व्यक्ति के सामने श्रद्धा से खड़ा हो गया और उसके भीतर भगवान को देखने लगा- उसी क्षण मैं बंधनों से मुक्त हूँ,
हर वो चीज़ जो बाँधती है, नष्ट हो गयी और मैं स्वतंत्र हूँ.
-स्वामी विवेकानंद