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प्रेम रावत
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जीवित होने के नाते आपके अंदर चेतना है और जब वह चेतना सत्य में मिलती है, तब आनंद होता है.
इसे ही परमानंद या सच्चिदानंद कहते हैं।
परमानंद का अनुभव निरंतर रहता है, परंतु जो सांसारिक आनंद
है वह क्षणिक होता है और बाद में दुःख में बदल जाता है।
-प्रेम रावत
Computer, and the three Termites (06:15 min)
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