प्रेम रावत,quote
प्रेम रावत,quote

जीवित होने के नाते आपके अंदर चेतना है और जब वह चेतना सत्य में मिलती है, तब आनंद होता है.
इसे ही परमानंद या सच्चिदानंद कहते हैं।
परमानंद का अनुभव निरंतर रहता है, परंतु जो सांसारिक आनंद
है वह क्षणिक होता है और बाद में दुःख में बदल जाता है।
-प्रेम रावत