जेरेमी गिल्ली श्री प्रेम रावत के साथ बातचीत करते हुए:
प्रश्न: क्या शांति कभी-कभी एक लड़ाई है?
उत्तर: बेशक हो सकती है. लेकिन चलिए हम सिर्फ बुनियादी चीज़ को देखते हैं. मेरी राय में- और मैंने इसके बारे में बहुत सोचा है- लगभग 40 साल. मैंने जो समझा है वह एक बेहद सरल चीज़ है- यदि हम शांति के बिना, शांति की अभिव्यक्ति की रचना करें, तो इससे और समस्याएं उत्पन्न होंगीं. यदि शांति मूल में है, तो शांति की अभिव्यक्ति स्वतः ही होगी. ये अवश्य होगा. परंतु यदि शांति मौलिक जगह में ही न हो और आप बस उसकी अभिव्यक्ति बनाने की कोशिश कर रहे हैं, तो यह बेहद कठिन होगा. इसीलिए मैं अपना यह सन्देश लोगों तक ले जाने की कोशिश करता हूँ कि शांति आपके भीतर है.