प्रेम रावत,quote
प्रेम रावत,quote

जैसे गर्मियों में लोग संतरे और मौसमी का रस निकालते हैं तो खूब निचोड़ते हैं,
ताकि आखिरी बूँद तक भी निचोड़ लिया जाये.
क्या तुम भी इस 'दिन' की हर एक बूँद को निचोड़ सकते हो?
इस हर एक क्षण के अंदर छिपा हुआ जो रस है,
इसके अंदर छिपी हुई जो शांति है, इसकी एक-एक बूँद निचोड़ना है. यह ज़रूरी है.
अपनी जि़ंदगी के अंदर अगर यह नहीं कर पाये तो फायदा क्या हुआ इस मनुष्य शरीर को पाने का ?
-प्रेम रावत