यह मनुष्य शरीर क्या है? तुम्हारा शरीर है नाशवान और इसके अंदर विराजमान है वह अविनाशी, जिसका कभी नाश नहीं होता. इन दोनों का मिलन हुआ है, तभी संभव हुआ है तुम्हारा जन्म. उस अविनाशी के अंदर क्या समाया है? परम आनंद! अब यह समय मिला है कि तुम इस मनुष्य शरीर के रहते हुए अपने अंदर स्थित अविनाशी का अनुभव करके अपना जीवन सफल कर सकते हो.