Janm, Maran, Din, Khaali Haath, ,प्रेम रावत,quote
Janm, Maran, Din, Khaali Haath, ,प्रेम रावत,quote

संसार के अंदर आए, जन्म हुआ, उपहार के रूप में एक दिन मिला, दूसरा दिन मिला,
तीसरा मिला। दिन मिलते-मिलते हफ्ते हो गये,
हफ्ते के बाद महीने, महीने के बाद साल हो गये और फिर ये माल, ये धन, ये आनंद, ये परमानंद, अंदर का अंदर ही रह गया।
फिर वह दिन भी आ गया, जब बाहर का स्वांस बाहर, अंदर का स्वांस भी बाहर, सब कुछ बाहर,
आना-जाना हुआ बंद। खाली हाथ इस संसार में आए थे और खाली हाथ चले गये।
परन्तु मैं कहता हूँ कि खाली हाथ आए तो थे, पर खाली हाथ जाने की ज़रूरत नहीं है। अगर अंदर की बात को पकड़ लोगे,
उस आनंद का अनुभव कर लोगे, तो फिर तुम्हें खाली हाथ नहीं जाना पड़ेगा।
-प्रेम रावत