इस जीवन की किताब लिखी जा रही है. तुम इसके पन्ने नहीं फाड़ सकते हो. इस जीवन की किताब में अभी सारे पन्ने पूरे नहीं हुए हैं. कुछ अभी बाकी हैं. आनंद की कलम से, सच्चार्इ की कलम से, अनुभव की कलम से आप लिखिए. इस कहानी का अंत क्या होगा, अभी किसी को मालूम नहीं है. यह आपके ऊपर निर्भर करता है कि जितने पन्ने बचे हैं, उनको कैसे लिखना है. लिखना वह है जो हमारे अंदर सत्य है. जो हमारे अंदर परमानंद है.