प्रेम रावत,quote
प्रेम रावत,quote

एक दीमक तुम्हें उस दिन लगी जिस दिन तुम इस संसार में आये,
वो है समय रूपी दीमक. दूसरी दीमक है अज्ञानता की,
जो तुम्हारे दिमाग में लगी हुई है. और जब तुम, तुम्हारे अंदर स्थित जो चीज़ है,
उसको समझ नहीं पाते हो तो तीसरी दीमक वहाँ लगती है.
पहली दीमक को तो कोई बदल नहीं सकता वो लग गयी.
पर गुरू महाराजी के ज्ञान और सत्संग से तुम बाकी दोनों दीमक को हटा सकते हो.
-प्रेम रावत