प्रेम रावत,quote
प्रेम रावत,quote

जानते हो बूँद क्या चाहती है? बूँद का केवल एक ही लक्ष्य है. वह बूँद वापस उस समुद्र में मिलना चाहती है. अगर वह बूँद नदी बनती है,
नदी बनकर बहती है तो एक ही जगह जाना चाहती है. वह जगह है 'समुद्र'. जिस दिन वह बूँद समुद्र में मिल जायेगी, वह बूँद नहीं रहेगी.
उसका अपना अस्तित्व ख़त्म हो जाता है. वह छोटी-सी बूँद समुद्र बन जाती है. जानते हो वह बूँद कौन है? वह बूँद हो तुम! वह समुद्र कौन है?
वह समुद्र है परमपिता परमेश्वर; उसको लोग भगवान भी कहते हैं; अल्लाह भी कहते हैं; गॉड भी कहते हैं!
-प्रेम रावत