प्रेम रावत, नयी दिल्ली, 17 दिसम्बर 1991,quote
प्रेम रावत, नयी दिल्ली, 17 दिसम्बर 1991,quote

ज्ञान, यह समझ लो कि दर्पण की तरह है. अन्दर की चीज़ है. देखने की चीज़ है.
समझने की चीज़ है. जानने की चीज़ है.. यह कोई दर्शनशास्त्र नहीं है. कोई किताबी बात नहीं है.
यह बात है सच्चे हृदय की. समय की बात है.
एक ऐसी चीज़ है जो समय से नहीं बदलती. समय से अलग है. उस चीज़ की हम बात कर रहे हैं.
-प्रेम रावत, नयी दिल्ली, 17 दिसम्बर 1991