सबके घट में वह परमानंद विराजमान है, परंतु सब बाहर दौड़ लगा रहे हैं। उसी दौड़ को अंदर की तरफ लगाना है। जैसे ही हम अंदर की तरफ दौड़ लगाना शुरू करेंगे, वह परमानंद हमें स्वयं अपने पास बुलाएगा। क्योंकि वहाँ है हृदय, और हृदय के अंदर उसकी प्यास लगी हुई है। उस प्यास को बुझाने की क्या विधि है? वह विधि मैं जगह-जगह जाकर लोगों को बताता हूँ और कहता हूँ कि परमानंद तुम्हारा इंतज़ार कर रहा है। उसको अपना बॉस बनाओ, उसकी चाकरी करो तो तुम्हारे जीवन के अंदर भी सुख और आनंद की बारिश हो जायेगी।