उस आनंद कि किसी मनुष्य के लिए कोई सीमा नहीं है चाहे वह पढ़ा-लिखा हो, चाहे वह अनपढ़ हो। चाहे वह अमीर हो, चाहे वह गरीब हो चाहे वह जवान हो, चाहे वह बूढ़ा हो। किसी के लिए भी उसकी कोई सीमा नहीं है। वह होती है असली चीज़। वह चीज़ सबके ह्रदय में विराजमान है। जिसका न अंत है। जो अनंत है, जो आनंद का भण्डार है