प्रेम रावत,quote
प्रेम रावत,quote

कौन हो तुम? जब तुम अपनी माँ के गर्भ में थे,
तुम्हारे माता-पिता के बीच में ये बात ज़रूर हुर्इ होगी- लड़का होगा या लड़की होगी?
पर जब तुम्हारा जन्म हुआ- एक छोटा सा समय था कि उनका
ध्यान इस पर नहीं था कि- लड़का पैदा हुआ है या लड़की पैदा हुर्इ है?
उस समय बताऊँ कहाँ था उनका ध्यान? एक ही चीज़ पर.
क्या थी वो चीज़? स्वांस ले रहा है या नहीं ले रहा है?
उस स्वांस के महत्व को आदमी भूल जाता है.
उसका महत्व एक बार फिर होता है और वो कब होता है?
जब आखिरी समय आता है.
इन दोनों समय के बीच में क्या जाना तुमने अपने स्वांस के बारे में?
क्या समझा तुमने अपने स्वांस के बारे में ?
क्या जाना इस कृपा को- भगवान की कृपा को?
-प्रेम रावत