प्रेम रावत,quote
प्रेम रावत,quote

जिस प्रकार एक स्टेडियम को पूर्णत: प्रकाशित करने के लिए
वहाँ लगे एक-एक बल्ब को जलाने की आवश्यकता होती है.
उसी प्रकार यदि हम स्टेडियम को पृथ्वी और बल्ब को मनुष्य मानें तो
विश्व के प्रत्येक मनुष्य को शांत होना पडे़गा, तब संभव है - विश्वशांति.
-प्रेम रावत