आनंद का दीया

satsang event
satsang event


सबसे पहले, हम मनुष्य हैं। सबकुछ होने के बावजूद हमारे साथ एक चीज़ और भी है। वह यह है कि हमारे भीतर इश्वर है। उसने अपना घर हमारे अंदर बनाया है। यह कोई छोटी-मोटी बात नहीं है। हम जीवित हैं और जबतक हम जीवित हैं, हमारी ज़िन्दगी में आशा है। जिस दिन यह स्वांस चला जाएगा, उस दिन आशा भी चली जाएगी। पर जबतक यह स्वांस आ रहा है, उसको समझो, अनुभव करो। आगे बढ़ो, इस जीवन को सफल करो।

बनाने वाला तुम्हारे अंदर स्वांस रूपी ढ़ोल बजा रहा है। नाचो! उन आशाओं का नाच नाचो। उस आनंद की बांसुरी को अपने जीवन के अंदर बजाओ। चाहे कुछ भी हो, अपने जीवन के अंदर उस चीज़ को समझते हुए, उस चीज़ का अनुभव करते हुए, अपना जीवन आप धन्य कर सकते हैं और धन्य कीजिए!

मनुष्य के अंदर समझने की शक्ति है, अनुभव करने की शक्ति है। उस शक्ति को नहीं भूलना चाहिए। चाहे कोई भी हो, जैसा भी हो, अपने जीवन को धन्य बनाओ। चाहे तुम्हारी कोई परिस्थिति हो, तुमको अपने जीवन को धन्य करने से कोई नहीं रोक सकता है।

इस जीवन की किताब लिखी जा रही है। तुम इसके पन्ने नहीं फाड़ सकते हो। इस जीवन की किताब में अभी सारे पन्ने पूरे नहीं हुए हैं। कुछ अभी बाकी हैं। आनंद की कलम से, सच्चाई की कलम से, अनुभव की कलम से, आप लिखिए। इस कहानी का अंत क्या होगा, अभी किसी को मालूम नहीं है। यह आपके ऊपर निर्भर करता है कि जितने पन्ने बचे हैं, उनको कैसे लिखना है। लिखना वह है जो हमारे अंदर सत्य है, जो हमारे अंदर परमानंद है।

जब दीया जलता है और प्रकाश होता है, तो प्रकाश चीज़ों को बनाता नहीं है। जो पहले से ही वहाँ मौजूद है, उनको प्रकट करता है। जिसने अपने हृदय का, अपनी समझ का, अपने अनुभव का, अपने आनंद का दीया जला दिया, वह धन्य है। इसलिए तुम भी अपने दीये को जलाओ, क्योंकि तुम जला सकते हो। यही ’ज्ञान‘ है। अगर उसको समझना है तो ज्ञान की कुछ क्रियाएं हैं, जिनसे अपने अंदर जा कर उस चीज़ का अनुभव किया जा सकता है। ज्यादा कुछ नहीं है, क्योंकि अनुभव की बात है।

— प्रेम रावत (महाराजी)  Anand ka diya