प्रेम रावत,quote
प्रेम रावत,quote

चिंता तो सतनाम की, और न चितवे दास,
और जो चितवे नाम बिनु, सोई काल की फांस.

हर चीज़ का इलाज है, पर चिंता का कोई इलाज नहीं है.
ऐसी कोई गोली बाज़ार में नहीं बिकती है कि अगर ज़्यादा चिंता
हो रही हो तो उसको खा लो और वह ख़त्म हो जाए.
चिंता तो मनुष्य करेगा ही, क्योंकि यह उसका स्वभाव है.
इसीलिए अगर चिंता करनी है तो उस सतनाम की चिंता करो,
जो तुम्हारे हृदय में है. उसकी चिंता करने से तुमको आनंद मिलेगा.
-प्रेम रावत